surah bakrah ayat 20 tarjuma aur tafseer in Hindi

सूरह बक़राह आयत 20 तर्जुमा और तफ़सीर हिन्दी में surah bakrah ayat 20 tarjuma aur tafseer in Hindi

सूरह बकराह आयत 20 surah No.2 Ayat No.20

सूरह बक़राह आयत 20 तर्जुमा और तफ़सीर

surah bakrah ayat 20 tarjuma aur tafseer 

 يَكَادُ ٱلْبَرْقُ يَخْطَفُ أَبْصَـٰرَهُمْ ۖ كُلَّمَآ أَضَآءَ لَهُم مَّشَوْا۟ فِيهِ وَإِذَآ أَظْلَمَ عَلَيْهِمْ قَامُوا۟ ۚ وَلَوْ شَآءَ ٱللَّهُ لَذَهَبَ بِسَمْعِهِمْ وَأَبْصَـٰرِهِمْ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ قَدِيرٌۭ ٢٠

तर्जुमा : बिजली यूं मालूम होती है कि उनकी निगाहें उचक ले जाएगी। जब कुछ चमक हुई, उसमें चलने लगे, और जब अंधेरा हुआ, खड़े रह गए। और अगर अल्लाह चाहता तो उनके कान और आंखें ले जाता। बेशक अल्लाह सब कुछ कर सकता है।

बिजली ऐसी रोशनी है जैसे उनकी नज़रें उचक ले जाएं। हर बार जब रोशनी मिलती है, वे उसमें चलते हैं, और जब अंधेरा हो जाता है, तो रुक जाते हैं। और अगर अल्लाह चाहता, तो उनके कान और आँखें भी ले जाता। बेशक अल्लाह हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है।

तफ़्सीर

عَلٰى كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ

अल्लाह तआला हर शै पर क़ादिर है।

शै उसी को कहते हैं जिसे अल्लाह तआला चाहे और जो मशियत यानी चाहने के तहत आ सके। हर मुमकिन चीज़ शै में शामिल है और हर शै अल्लाह तआला की क़ुदरत में है और जो मुमकिन नहीं बल्कि वाजिब या मुहाल है, उससे अल्लाह तआला के इरादे और क़ुदरत का ताल्लुक ही नहीं होता, जैसे अल्लाह तआला की ज़ात और सिफात वाजिब हैं, इसलिए क़ुदरत के तहत शामिल नहीं।

मिसाल के तौर पर यह नहीं हो सकता कि अल्लाह तआला चाहे तो अपना इल्म खत्म करके बे-इल्म हो जाए या मआज़ल्लाह झूठ बोले।

याद रहे कि इन चीज़ों का अल्लाह तआला की क़ुदरत के तहत न आना उसकी क़ुदरत में कमी और नुक्स की वजह से नहीं, बल्कि यह इन चीज़ों का नुक्स है कि इनमें यह सलाहियत नहीं कि अल्लाह तआला की क़ुदरत से संबंधित हो सकें।

ये लोग हक की आवाज सुनकर डर जाते हैं और उसे सुनने से कतराकर अपने कान बंद कर लेते हैं। हालाँकि सच्चाई उनके सामने है, लेकिन वे उसे अपने नफ्स और गुमराही की वजह से कबूल नहीं करते।

सूरह अल-बक़राह आयत 21 का तर्जुमा और तफसीर जानने के लिए यहां क्लिक करें -

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