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Surah Al-Baqarah Ayat 25: Jannat ke Inam aur Khushkhbri

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सूरह अल बकराह आयत 25 जन्नत के इनाम और खुशखबरी Surah Al-Baqarah Ayat 25 Jannat ke Inam aur Khushkhbri सूरह अल-बकरा क़ुरान पाक की एक अहम सूरह है जो मुसलमानों के लिए हिदायत का ज़रिया है। इस ब्लॉग में हम सूरह अल बकराह आयत 25 जन्नत के इनाम और खुशखबरी Surah Al-Baqarah Ayat 25 Jannat ke Inam aur Khushkhbri का तफ्सीली जायज़ा लेंगे।  सूरह अल-बकरा क़ुरआन की मदनी सूरत है और इसमें अल्लाह तआला ने इंसानी ज़िंदगी के मुख्तलिफ पहलुओं पर रहनुमाई फराहम की है। आयत 25 में अल्लाह तआला ने उन लोगों के लिए खुशखबरी दी है जो ईमान ले आते हैं और नेक अमल करते हैं। यह आयत जन्नत के इनाम और रहमत का तसल्लुल बयान करती है जो मोमिनीन का मुकद्दर बनेगी। surah bakrah ayat 25 tarjuma aur tafseer सूरह बकराह आयत 25 ۞ وَبَشِّرِ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ أَنَّ لَهُمْ جَنَّـٰتٍۢ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ ۖ كُلَّمَا رُزِقُوا۟ مِنْهَا مِن ثَمَرَةٍۢ رِّزْقًۭا ۙ قَالُوا۟ هَـٰذَا ٱلَّذِى رُزِقْنَا مِن قَبْلُ ۖ وَأُتُوا۟ بِهِۦ مُتَشَـٰبِهًۭا ۖ وَلَهُمْ فِيهَآ أَزْوَٰجٌۭ مُّطَهَّرَةٌۭ ۖ وَهُمْ فِيهَا...

surah bakrah ayat 24 tarjuma aur tafseer in Hindi

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सूरह बक़राह आयत 24 तर्जुमा और तफ़सीर हिन्दी में surah bakrah ayat 24 tarjuma aur tafseer in Hindi सूरह अल-बकरा क़ुरान पाक की एक अहम सूरह है जो मुसलमानों के लिए हिदायत का ज़रिया है। इस ब्लॉग में हम  सूरह बक़राह आयत 24 तर्जुमा और तफ़सीर हिन्दी में   surah bakrah ayat 24 tarjuma aur tafseer in Hindi का तफ्सीली जायज़ा लेंगे।  यह आयत पिछले बयान सूरह बक़राह आयत 23 तर्जुमा और तफ़सीर हिन्दी में  का हिस्सा है, जिसमें अल्लाह तआला ने क़ुरआन के बारे में चुनौती दी थी कि यदि कोई इसे अल्लाह का कलाम नहीं मानता तो इसके जैसी एक ही सूरह बनाकर पेश करे। इस आयत में स्पष्ट किया गया है कि यह चुनौती इंसानों और जिन्नात के सामूहिक प्रयास के बावजूद असंभव है। इस तफ्सीर में हम अरबी आयत के साथ तर्जुमा और उसका असर और हिदायत पर भी बात करेंगे। सूरह बकराह आयत 24 surah No.2 Ayat No.24 surah bakrah ayat 24 tarjuma aur tafseer सूरह बकराह आयत 24   فَإِن لَّمْ تَفْعَلُوا۟ وَلَن تَفْعَلُوا۟ فَٱتَّقُوا۟ ٱلنَّارَ ٱلَّتِى وَقُودُهَا ٱلنَّاسُ وَٱلْحِجَارَةُ ۖ أُعِدَّتْ لِلْكَـٰفِرِينَ      ...

surah bakrah ayat 23 tarjuma aur tafseer in Hindi

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सूरह बक़राह आयत 23 तर्जुमा और तफ़सीर हिन्दी में surah bakrah ayat 23 tarjuma aur tafseer in Hindi सूरह बकराह आयत 23 surah No.2 Ayat No.23 surah bakrah ayat 23 tarjuma aur tafseer सूरह बकराह आयत 23  وَإِن كُنتُمْ فِى رَيْبٍۢ مِّمَّا نَزَّلْنَا عَلَىٰ عَبْدِنَا فَأْتُوا۟ بِسُورَةٍۢ مِّن مِّثْلِهِۦ وَٱدْعُوا۟ شُهَدَآءَكُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ ٢٣ तर्जुमा : और अगर तुम्हें कुछ शक हो इसमें जो हमने अपने (उन खास) बंदे पर उतारा, तो इस जैसी एक सुरत तो ले आओ और अल्लाह के सिवा अपने सब हिमायतियों को बुला लो अगर तुम सच्चे हो। तफ़्सीर اِنْ كُنْتُمْ فِیْ رَیْبٍ और अगर तुम्हें कुछ शक हो। इससे पहले की आयतों में अल्लाह तआला की क़ुदरत और वहदानीयत का बयान हुआ और यहाँ से हज़ूर सैय्यद अल-मुर्सलीन ﷺ की नबूवत और क़ुरआन-ए-करीम के अल्लाह तआला की बे-मिसाल किताब होने की वह क़ाहिर दलील बयान की जा रही है जो तालिब-ए-सादिक को इत्मिनान बख्शे और मुनकिरों को आजिज कर दे। अल्लाह तआला की अजमत की सबसे बड़ी दलील मुहम्मद मुस्तफा ﷺ हैं और मुहम्मद मुस्तफा ﷺ की अजमत की सबसे बड़ी दलील क़ुरआन है, इसलिए इस ...

surah bakrah ayat 22 tarjuma aur tafseer in Hindi

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सूरह बक़राह आयत 22 तर्जुमा और तफ़सीर हिन्दी में surah bakrah ayat 22 tarjuma aur tafseer in Hindi सूरह बकराह आयत 22 surah No.2 Ayat No.22 surah Bakrah Ayat No.22 सूरह बकराह आयत 22 ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُمُ ٱلْأَرْضَ فِرَٰشًۭا وَٱلسَّمَآءَ بِنَآءًۭ وَأَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءًۭ فَأَخْرَجَ بِهِۦ مِنَ ٱلثَّمَرَٰتِ رِزْقًۭا لَّكُمْ ۖ فَلَا تَجْعَلُوا۟ لِلَّهِ أَندَادًۭا وَأَنتُمْ تَعْلَمُونَ तर्जुमा : और जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन को बिछौना और आसमान को इमारत बनाया और आसमान से पानी उतारा, तो उससे कुछ फल निकाले तुम्हारे खाने को, तो अल्लाह के लिए जान-बूझकर बराबर वाले न ठहराओ। तफ़्सीर اَلَّذِیْ جَعَلَ لَكُمُ الْاَرْضَ فِرَاشًا وَّ السَّمَآءَ بِنَآءً जिस ने तुम्हारे लिए ज़मीन को बिछौना और आसमान को छत बनाया। इस आयत और इस से ऊपर वाली आयत में अल्लाह तआला ने अपनी इन नेअमतों को बयान फरमाया है: (1)…मखलूक को अदम से वजूद में लाना। (2)…आसमान और ज़मीन को पैदा करना। (3)…आसमान और ज़मीन से मखलूक के रिज़्क का मुहैया करना। (4)…आसमान से बारिश उतारना और ज़मीन से नबातात उगाना। जब आदमी की जिंदगी का एक-एक पल और ...

surah bakrah ayat 21 tarjuma aur tafseer in Hindi

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सूरह बक़राह आयत 21 तर्जुमा और तफ़सीर हिन्दी में surah bakrah ayat 21 tarjuma aur tafseer in Hindi सूरह बकराह आयत 21 surah No.2 Ayat No.21 surah Bakrah Ayat No.21 सूरह बकराह आयत 21 ۞ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ ٱعْبُدُوا۟ رَبَّكُمُ ٱلَّذِى خَلَقَكُمْ وَٱلَّذِينَ مِن قَبْلِكُمْ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُونَ ٢١ तर्जुमा : ऐ लोगो, अपने रब की इबादत करो जिसने तुम्हें और तुमसे अगलों को पैदा किया, ये उम्मीद करते हुए कि तुम्हें परहेज़गारी मिले। तफ़्सीर یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ ऐ लोगो ! सूरह बक़रह के शुरू में बताया गया कि ये किताब मुत्तक़ीन की हिदायत के लिए नाज़िल हुई, फिर मुत्तक़ीन के औसाफ़ ज़िक्र फ़रमाए, उसके बाद इससे मुन्हरिफ़ होने वाले फ़िरक़ों का और उनके अहवाल का ज़िक्र फ़रमाया, ताकि सआदतमंद इंसान हिदायत और तक़वा की तरफ़ राग़िब हो और नाफ़रमानी और बग़ावत से बचे। अब तक़वा हासिल करने का तरीक़ा बताया जा रहा है और वो तरीक़ा इबादत और इताअत-ए-इलाही है। "या अय्युहन्नास" के ज़रिए तमाम इंसानों से ख़िताब है और इस बात का इशारा है कि इंसानी शराफ़त इसी में है कि आदमी तक़वा हासिल करे और अल्लाह तआला का बंदा बने। सूरत के शुरू में ...

surah bakrah ayat 20 tarjuma aur tafseer in Hindi

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सूरह बक़राह आयत 20 तर्जुमा और तफ़सीर हिन्दी में surah bakrah ayat 20 tarjuma aur tafseer in Hindi सूरह बकराह आयत 20 surah No.2 Ayat No.20 surah bakrah ayat 20 tarjuma aur tafseer    يَكَادُ ٱلْبَرْقُ يَخْطَفُ أَبْصَـٰرَهُمْ ۖ كُلَّمَآ أَضَآءَ لَهُم مَّشَوْا۟ فِيهِ وَإِذَآ أَظْلَمَ عَلَيْهِمْ قَامُوا۟ ۚ وَلَوْ شَآءَ ٱللَّهُ لَذَهَبَ بِسَمْعِهِمْ وَأَبْصَـٰرِهِمْ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ قَدِيرٌۭ ٢٠ तर्जुमा : बिजली यूं मालूम होती है कि उनकी निगाहें उचक ले जाएगी। जब कुछ चमक हुई, उसमें चलने लगे, और जब अंधेरा हुआ, खड़े रह गए। और अगर अल्लाह चाहता तो उनके कान और आंखें ले जाता। बेशक अल्लाह सब कुछ कर सकता है। बिजली ऐसी रोशनी है जैसे उनकी नज़रें उचक ले जाएं। हर बार जब रोशनी मिलती है, वे उसमें चलते हैं, और जब अंधेरा हो जाता है, तो रुक जाते हैं। और अगर अल्लाह चाहता, तो उनके कान और आँखें भी ले जाता। बेशक अल्लाह हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है। तफ़्सीर عَلٰى كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ अल्लाह तआला हर शै पर क़ादिर है। शै उसी को कहते हैं जिसे अल्लाह तआला चाहे और जो मशियत यानी चाहने के तहत...