बिस्मिल्लाह की फजीलत - Bismillah ki fazilat aur ahmiyat

बिस्मिल्लाह की फजीलत Bismillah ki fazilat aur ahmiyat

 बिस्मिल्लाह का अर्थ-
Bismillah ki fazilat aur ahmiya
Bismillah ki fazilat aur ahmiya

इस ब्लॉग में हम बिस्मिल्लाह की फजीलत Bismillah ki fazilat aur ahmiyat के बारे में जानेंगे।


بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ ١

तर्जुमा कंजुल ईमान : अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत मेहरबान रहमत वाला ।

तर्जुमा कंजुल इरफान : अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान रहमत वाला है ।

بِسْمِ ٱللَّهِ :

अल्लाह के नाम से शुरू

अल्लामा अहमद सावी رضی اللہ عنہ फरमाते हैं कुरान मजीद की इब्तिदा बिस्मिल्लाह से इसलिए की गई ताकि अल्लाह तआला के बंदे उसकी पैरवी करते हुए हर अच्छे काम की इब्तिदा बिस्मिल्लाह से करें और हदीस पाक में भी अच्छे और अहम काम की इब्तिदा बिस्मिल्लाह से करने की तरगीब दी गई है ।

चुनांचे 

हजरत अबू हुरैरा رضی اللہ عنہ से रिवायत है हुजूर पुरनूर ﷺ ने इरशाद फरमाया जिस अहम काम की इब्तिदा بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ से ना की गई तो वह अधूरा रह जाता है ।

लिहाजा तमाम मुसलमानों को चाहिए कि वो हर नेक और जायज काम की इब्तिदा بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ से करें, इसकी बहुत बरकत हैं ।

ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ 

जो बहुत मेहरबान रहमत वाला है ।

इमाम फखरुद्दीन राजी رضی اللہ عنہफरमाते हैं अल्लाह तआला ने अपनी जात को रहमान और रहीम फरमाया तो यह उसकी शान से बईद है कि वो रहम ना फरमाए। मरवी है कि एक साइल ने बलंद दरवाजे के पास खड़े होकर कुछ मांगा तो इसे थोड़ा सा दे दिया गया दूसरे दिन वह एक कुल्हाड़ा लेकर आया और दरवाजे को तोड़ना शुरू की कर दिया उससे कहा गया कि तू ऐसा क्यों कर रहा है ?

उसने जवाब दिया तू दरवाजे को अपनी अता के लायक कर या अपनी अता को दरवाजे के लायक बना । ऐ हमारे अल्लाह रहमत के समंदरओं को तेरी रहमत से वो निसबत है जो एक छोटे से जर्रे को तेरे अर्श से निसबत हैं और तूने अपनी किताब की इब्तिदा में अपने बंदों पर अपनी रहमत की सिफत बयान की इसलिए हमें अपनी रहमत और फजल से मेहरूम ना रखना ।

Bismillah ki fazilat aur ahmiya
बिस्मिल्लाह की फजीलत

बिस्मिलाह से मुतल्लिक चंद शरई मसाईल ।

ऑलमा इकराम ने बिस्मिल्लाह से मुत्तलिक बहुत से शरई मसाईल बयान किए हैं इनमें से चंद दर्जे जेल हैं । 

1. बिस्मिल्लाह हर सूरत के शुरू में लिखी हुई है यह पूरी आयत है और जो सूरह नमल की आयत नंबर 30 में है वो उस आयत का एक हिस्सा है ।

2. बिस्मिलाह हर सूरत के शुरू की आयत नहीं है बल्कि पूरे कुरान की एक आयत है जिसे हर सूरत के शुरू में लिख दिया गया ताकि दो सूरतों के दरमियान फासला हो जाए इसलिए सूरत के ऊपर इम्तियाजी शान में बिस्मिल्लाह लिखी जाती हैं आयात की तरह मिलाकर नहीं लिखते और इमाम जहरी नमाजो में बिस्मिल्लाह आवाज से नहीं पड़ता, नीज हजरत जिब्रील عليه السلام जो पहली वही लाए उसमें बिस्मिल्लाह ना थी।

3. तराबी पढ़ाने वाले को चाहिए कि वह किसी एक सूरत के शुरू में बिस्मिल्लाह आवाज से पढ़े ताकि एक आयत रह ना जाए ।

4. तिलावत शुरू करने से पहले
’’اَعُوْذُ بِاللہ مِنَ الشَّیْطٰن الرَّجِیْمِ‘
पढ़ना सुन्नत है लेकिन अगर शागिर्द उस्ताद से कुरान मजीद पढ़ रहा हो तो उसके लिए सुन्नत नहीं ।

5. सूरत की इब्तिदा में बिस्मिल्लाह पढ़ना सुन्नत है वरना मुस्तहब है ।

6. अगर सूरह तौबा से तिलावत शुरू की जाए तो اَعُوْذُ بِاللہ और بِسْمِ ٱللَّهِ दोनों को पढ़ा जाए और अगर तिलावत के दौरान सूरह तौबा आ जाए तो بِسْمِ ٱللَّهِ पढ़ने की हाजत नहीं ।

बिस्मिल्लाह शरीफ के ताएरूफ को अच्छी तरह से पढ़ने के लिए और बिस्मिल्लाह के बारे में जानने के लिए आप सब का शुक्रिया अदा करता हूँ | कुराने पाक की तिलावत को मामुल में लायें और अपनी ज़िन्दगी को इसके अनुसार ढाले |

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